महादेवी वर्मा का जीवन परिचय ( Biography of Mahadevi Varma)

 


                  संछिप्त - परिचय

नाम : महादेवी वर्मा

पिता का नाम : श्री गोविन्द वर्मा

जन्म : स्न 1907 ई०

जन्म स्थान : फारुर्खाबाद (उत्तर प्रदेश)

 शिक्षा : एम. ए. ( संस्कृत )

सम्पादक : चाँद ( पत्र )

भाषा : ब्रजभाषा व खड़ीबोली

शैली : मुक्तक, चित्र, प्रगति, ध्वन्यात्मक, सम्बोधन

प्रमुख रचनाए : हिमालय, मेरा परिवार, यामा, अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाए, सप्तवर्णा आदि। 

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जीवन परिचय = श्रीमती महादेवी  वर्मा  का जन्म सन 1907 ई को उत्तर प्रदेश फारूरखाबाद जनपद मे होलीकोत्सव के दिन हुआ था। पिता का नाम गोविन्द प्रशाद वर्मा था और ये भागलपुर के एक कॉलेज मे प्रधानाचार्य थे। इनकी माता हेमरानी देवी थी ये विदुषी और धार्मिक स्वभाव की महिला थी इनकी प्रारंभिक शिक्षा इंदौर मे  और उच्च शिक्षा प्रयाग मे हुई थी। संस्कृत मे एम० ए० उत्तीर्ण करने के बाद ये प्रयाग महिला विद्यपिठ मे प्रधानाचार्य हो गयी। इनका इनके पति डाक्टर थे वैचारिक साम्य न होने के कारड़ ये अपने पति से अलग रहती थी। कुछ समय तक इन्होने चाँद पत्रिका का संपादन किया इनके जीवन पर महात्मा गाँधी का तथा साहित्य साधन पर रविंद्रनाथ टैगोर का विशेष प्रभाव पड़ा। इन्होने नारी स्वतंत्रता के लिए सदैव संघर्ष किया और आदधिकारों के रक्षा के लिए नरी का शक्षित होना आवश्यक बताया। कुछ वर्षो तक ये उत्तर प्रदेश विधान परिपद की मनोनीत सदस्य भी रही इनकी साहित्य सेवाओं के लिए राष्ट्रपति ने इन्हे पद्मभूण की उपाधि से अलंकृत किया। सेक्सरिया एवं मंगलाप्रसाद परितोषीक से भी इन्हे सम्मानित किया गया। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा 18 मई 1983 ई को इन्हे हिन्दी सर्वश्रेष्ठ कवयित्री जे रूप मे भारत- भारती पुरस्कार प्रदान करके सम्मानित किया गया। 28 नवम्बर 1983 ई को इन्हे इनकी अप्रतिम गीतात्मक काव्यकृति 'यामा' पर 'ज्ञानपीठ' पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया। 11 सितम्बर 1987 ई को ये इस असार- संसार से विदा हो गयी।

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साहित्यिक- परिचय = महादेवी जी का स्वभाव अत्यन्त शान्त, सरल, और मधुर था इन्हे साहित्य मे रूचि तथा काव्य के जन्मजात संस्कृत प्राप्त हुए थे। सर्वप्रथम इनकी रचनाए चाँद पत्रिका मे प्रकाशित हुई। इनके बाद महादेवी जी चाँद की सम्पादिका भी रही। इन्होने प्रयाग मे साहित्यकार 'संसद' की स्थापना की जिसका उद्देश्य साहित्यकारों की सहायता करना और उनकी रचनाओ को प्रकाशित करना था। इनके जीवन का उद्देश्य साहित्य सेवा और जन - सेवा रहा। चित्रकला और संगीत मे महादेवी जी को विशेष रूचि थी। इसका प्रमाण इनकी कविताओं मे भी दिखाई देता है। महादेवी जी का काव्य संगीत की मधुरता लिए हुई है। ये अपनी कविताओं मे चित्रकला जैसे शब्दचित्र उपस्थित कर देती थी।

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कृतियां = 'निहार', रश्मि ' नीरजा ', 'दीपशिखा ', 'यामा', इन संग्रहो के अतिरिक्त महादेवी वर्मा की 'सप्तवर्णा', और हिमालय काव्य कृतियां है। इन्ही कविता संग्रहो मे कुछ गीतों के संकलन 'सधिनी' और आधुनिक कवि शीर्षक से प्रकाशित हो चुके है गद्य मे अतीत के चलचित्र', स्मृति की रेखाए, 'श्रृंखला की कड़िया, 'मेरा परिवार' अन्य प्रशिद्ध रचनाए है।

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