अर्थशास्त्र क्या है? इसके जन्म दाता कौन है ।

             

      
             अर्थशास्त्र के जन्म दाता
एडम स्मिथ ( Adam Smith)  
              
                अर्थशास्त्र क्या है ?
विभिन्न अर्थशास्त्रीयो ने अर्थशास्त्र की परिभाषा अलग - अलग ढंग से दिया है। सुविधा की दृष्टि से अर्थशास्त्र की परिभाषाओ के मुख्य रूप से निम्न चार भागो मे विभाजित किया जा सकता है - 
(1) : धन सम्बन्धी परिभाषा ( Wealth Oriented                  Definition)

(2) : भैतिक कल्याण सम्बन्धी परिभाषा ( Metarial                Welfare Oriented Definition )

(3) : सीमितता सम्बन्धी परिभाषा ( Scarcity                         Oriented Definition )

(4) : विकास सम्बन्धी परिभाषा ( Growth Oriented
       Definition ) 

(1) : धन सम्बन्धी परिभाषा ( Wealth Oriented Definition ) = धन सम्बन्धी परिभाषा देने वाले अर्थशास्त्रियों मे एडम स्मिथ जे. बी. से व वाकर के नाम उल्लेखनीय है। प्राचीन अर्थशास्त्री, अर्थशास्त्र को धन का विज्ञानं मानते थे। एडम स्मिथ के अनुसार, अर्थशास्त्र राष्ट्रों के धन के स्वरूप और कारणो की खोज से
सम्बन्धित है। 
" Economics is a subject Concerned with an enquiry into the nuture and causes of wealth of nations ." 

विशेषताएं ( Characteristics )
(a) : अर्थशास्त्र का सम्बन्ध उन क्रियाओ से है जो धन से सम्बन्धित है।
(b) : धन का सम्बन्ध केवल भौतिक वस्तुओ से है न की अभौतिक वस्तुओ - सेवाओं से है।
(c) : अर्थशास्त्र का सम्बन्ध केवल आर्थिक मानव से है, जो स्वहित से   प्रेरित है।
(2) : भौतिक कल्याण सम्बन्धी परिभाषा ( Material Welfare Oriented Definition ) = मार्शल
( Marshall) प्रथम अर्थशास्त्री थे, जिन्होंने अर्थशास्त्र को एक आदर एवं महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया। पिगू ( Pigou), बेवरिज
( Beveridge ) एली (Ely ), केनन ( Cannon) आदि अर्थशास्त्रियों
ने उनका साथ दिया।
मार्शल के अनुसार, " अर्थशास्त्र मानव जीवन के साधारण व्यवसाय का अध्ययन है। इनके व्यक्तिगत तथा सामाजिक क्रियाओ के उस भाग का
अध्ययन किया जाता है जिसका भौतिक सुख के साधनों की प्राप्ति एवं उपयोग से धनिष्ठ सम्बन्ध है।
"Economics is a study of mankind in the ordinaryb business of life . It examines that past of individual and social action which is most closely connected with the attainment and with the use of material requisites of well being. "

अर्थशास्त्र की यह परिभाषा भौतिक कल्याण पर केंन्द्रित है इसलिए इसे अर्थशास्त्र की भौतिक कल्याण सम्बन्धी परिभाषा कहते है। इनके अनुसार अर्थशास्त्र मे मानव प्रधान है। इस परिभाषा की मुख्य विशेषताएं निम्न है। -
विशेषताएं ( Characteristics )
(a) : अर्थशास्त्र साधारण मनुष्य की आर्थिक क्रियाओ का अध्ययन है।
(b): इसमें मानव के भौतिक कल्याण का अध्ययन किया जाता है।
(c) : मुद्रा द्वारा आर्थिक क्रियाओ व भौतिक कल्याण की माप संम्भव है।(d) : इसके अन्तर्गत यह स्वीकार किया गया है की अर्थशास्त्र एक ऐसा
       सामाजिक विज्ञानं है जो कल्याण को प्रोत्साहित करने मे सहायक           होता है।
मार्शल अर्थशास्त्र को मानव की उन सामान्य क्रियाओ का अध्ययन स्वीकार करते है जिनसे भौतिक कल्याण मे वृद्धि होती है।
(3): सीमितता सम्बन्धी परिभाषा ( Scarcity Oriented Definition ) = दुर्लभता या सीमितता प्रधान
परिभाषा राबिन्स की देन है। 1932 मे रोबिन्स ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक
An Essay on the nature and Significance of economic Science मे कल्याणवादी परिभाषाओ की आलोचना करते हुए अर्थशास्त्र को भौतिक कल्याण व सामाजिक विज्ञान से हटाकर विज्ञान के रूप मे प्रतिष्ठित किया।
राबिन्स के अनुसार , " अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो मानवीय क्रियाओ का अध्ययन साध्यों व विभिन्न उपभोग वाले दुर्लभ साधनों के मध्य परस्परिक सम्बन्ध के रूप मे करता है।
" Economics is the science which studies human behaviour as a relationship between ends and scare means which have alternative uses ." 

राबिन्स का कहना है की अर्थशास्त्र साधनों की सीमितता से सम्बन्धीत है। साधनों की सीमितता इसलिए पैदा होती है, क्योंकि मानवीय आवश्यकताएं अनन्त है और उनको पूरा करने के लिए साधन सिमित है सिमित साधनों को भी वैकल्पिक उपयोग है।
विशेषताएं ( Characteristics )
इन धारणो की प्रमुख विशेषताएं निम्न है।-
(a) : आवश्यकताए अनन्त है।
(b) : आवश्यकताओ को सन्तुष्ट करने के लिए साधन सिमित है
(c) : सिमित साधनों के वैकल्पिक उपयोग है।
(d) : अर्थशास्त्र उन वैकल्पिक प्रयोगो मे से उचित चुनाव करने मे   सहायक होता है।
(4) : विकास सम्बन्धी परिभाषा ( Growth Oriented
Definition ) = विकास केन्द्रिती परिभाषा की आवश्यकता वास्तव मे राबिन्स की परिभाषा की कमिया व अपर्याप्तता के कारण। राबिन्स ने साधनों को सीमित व अपरिवर्तनीय माना व आवश्यकताओ को साधनों के अनुसार समायोजित करने का सुझाव दिया। यह एक स्थैैैैतिक दृष्टिकोण है। इन्होने इस को भुला दिया की साधनों मे परिवर्तन हो सकते  है  तथा आवश्यकताए अधिक होने के साथ - साथ साधनों मे वृद्धि के  प्रयत्न हो सकते है। वास्तव मे, आर्थिक समस्या केवल विद्यामन साधनों के अनुसार आवश्यकताओ
को समायोजित करने की नहीं है वरन साधनों मे वृद्धि अर्थात विकास की है।
आधुनिक अर्थशास्त्री, अर्थशास्त्र को विकास का विज्ञान मानते है। अर्थशास्त्र हमें यह निर्देश देता है की सीमित साधनों का कैसे आदर्श प्रयोग किया जा सकता है तथा सामाजिक कल्याण को कैसे प्रोत्साहित किया जा सकता है।
विकास केन्द्रित परिभाषाओ मे सबसे प्रमुख परिभाषा नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री पॉल ए. सेम्युलसन ( Paul A. Samuelson) की है। उनके अनुसार, " अर्थशास्त्र की बात का अध्ययन करता है कि व्यक्ति और समाज अनेक प्रयोग मे आ सकने
वाले उत्पादन के सीमित साधनों का चुनाव एक समयावधि मे विभिन्न वस्तुओ का उत्पादन मे लगाने और उनको समाज मे विभिन्न वस्तुओ और समूहों मे उपभोग हेतु, वर्तमान व भविष्य मे बाटने के लिए किस प्रकार करते है ऐसा चाहे वे मुद्रा का प्रयोग करें अथवा इनके बिना करें । "
" Economics is the study of how men and society choose with or without the use of money ,to employ scarce productive resources which could have alternative uses to produce various commodities over time and distribute them for consumption now and in future among various people and groups in society. "
 
विशेषताएं ( Characteristics )
सेम्युलसन कि परिभाषा कि मुख्य बाते निम्न प्रकार है।
(a) : सेम्युलसन भी साधनों कि सीमितता के कारण मानव व्यवहार
के चायनात्मक पहलु को अर्थशास्त्र की केन्द्रीय समान्य मानते है।
(b): विभिन्न प्रकार की आवश्यकताओ को पूरा करने के लिए उपलब्ध साधनों का उचित ढंग से प्रयोग करना चाहिए।
(c) : अर्थशास्त्र का सम्बन्ध केवल आर्थिक समस्याओ का प्रकटीकरण ही नहीं बल्कि इसमें इनके समाधान के तरीको का  सुझाव देना भी है।
वर्तमान मे यह परिभाषा सर्वसम्मन लगती है, क्योंकि इसमें अर्थशास्त्र के प्रत्येक पक्ष को सम्लित किया गया है। उपर्युक्त परिभाषाओ के अधार पर यह कहा जा सकता है कि, " अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है जो मनुष्य के आर्थिक व्यवहार का अध्ययन करता है। "  

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