संछिप्त - परिचय
नाम : डॉ राजेंद्र प्रसाद।
पिता का नाम : श्री महादेव सहाय।
जन्म : सन् 1884 ई०।
जन्म स्थान : बिहार राज्य के छपरा जिले के जीरा देई नामक ग्राम मे।
शिक्षा : एम० ए० एल -एल एम० ।
लेखन विधा : पत्रिका एवं भाषण।
भाषा - शैली : सरल, सुबोध, स्वाभाविक और व्यवहारिक, विवेचनात्मक, भाषण, भावात्मक, विवेचनात्मक तथा आत्मकथात्मक।
प्रमुख रचनाए : भारतीय शिक्षा, गाँधी जी की देन शिक्षा और संस्कृति, मेरी आत्मकथा, मेरी यूरोप यात्रा, संस्कृति का अध्ययन।
निधन : 28 फरवरी सन् 1963 ई०
साहित्य मे स्थान : सन् 1962 मे राजेंद्र प्रसाद जी को भारत के सर्वोच्च सम्मान ' भारतरत्न ' से अलंकृत किया गया। हिन्दी साहित्य मे इनका महत्वपूर्ण स्थान है।
जीवन परिचय (Biography )
जीवन - परिचय = डॉ राजेंद्र प्रसाद का जन्म बिहार राज्य के छपरा जिले के जीरादेई नामक ग्राम मे सन् 1884 ई को एक कायस्थ परिवार मे हुआ था। इनके पिता का नाम का नाम श्री महादेव सहाय था। इन्होने कलकत्ता विश्वविद्यालय से बी० ए० तथा अंग्रेजी विषय लेकर एम० ए०की परीक्षाए प्रथम श्रेेणी से उत्तीर्ण की। बुद्धिमान, लगनशील तथा परिश्रमी होने के कारण से लेकर अन्त तो तक इन्होने सभी परीक्षाओ मे प्रथम स्थान प्राप्त किया। अध्ययन समाप्त करने के उपरांत इन्होने मुजफ्फरपुर के एक कॉलेज मे कुछ समय तक अध्यापन कार्य किया। इसके बाद सन् 1911 ई० से 1920 ई० तक राजेंद्र प्रसाद जी ने क्रमशः कालकत्ता तथा पटना हाई कोर्ट मे वकालत की परन्तु गाँधी जी आदर्शो, सिद्धान्तो तथा आंदोलनों से ये इतने प्रभावित हुए की पूर्णरूप से देशभक्ति के कार्यों मे संलग्न हो गए। डॉ राजेंद्र प्रसाद स्वाभव से सीधे, सरल, देशभक्त, ईमानदार, सत्यनिष्ठा, निर्भीत तथा साधु प्रकृति थे। ये तीन बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सभापति चुने गए और सन् 1962 ई० तक भारत गणराज्य के राष्ट्रपति रहे। सन् 1962 ई० मे ही इन्हे भारत के सर्वोच्च सम्मान ' भारतरत्' से अलंकृत किया गया। इन्होने जीवनपर्यन्त हिन्दी और हिन्दुस्तान की निःस्वार्थ से की सन् 1963 ई० राजेंद्रप्रसाद जी का मृत्यु हो गया।
साहित्यिक - परिचय
साहित्यिक - परिचय = डॉ राजेंद्रप्रसाद एक महान् देशभक्त होने के साथ के साथ - साथ सफल लेखक भी थे। सामाजिक, शैक्षिक एवं सांस्कृतिक विषयो पर इनके लेख निरन्तर प्रकाशित होते थे। इन्होने हिन्दी साहित्य सम्मेलन के सभापति पद को भी सुशोभित किया। इनके अनेक भाषड़ भी प्रकाशित हुए जिनमे विचारों की क्रमबद्धता और स्पष्टता, भाषा की सरलता और स्वाभाविकता तथा हृदय की संवेदनशिलता और देशभक्ति के एक साथ दर्शन होते हैं। इनकी रचनाओं मे उद्धरणो और उदाहरणों की प्रचुरता हैं तथा कुछ रचनाओं मे अत्यन्त प्रभावपूर्ण भावाभिव्यक्ति भी देखने को मिलती है।
कृतियाँ
कृतियां = ' भारतीय शिक्षा ', ' गाँधी जी की देन ', ' शिक्षा और संस्कृति ', मेरी आत्मकथा ', ' बापू के कदमो मे ',' मेरी यूरोप यात्रा', ' खादी का अर्थशास्त्र ', 'सस्कृति का अध्ययन ', तथा अन्य प्रकाशित भाषण संग्रह https://vkr72.blogspot.com/2021/02/blog-post_23.htmlआदि हैं।
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