कहानी निचे विस्तार से पढ़े।
इस राजा इत्र का बहुत शौकीन था। एक दिन वह अपने दरबार मे बैठा हुआ अपने कपड़ो मे इत्र लगा रहा था। अचानक इत्र की एक बूँद छिटककर निचे गिर गई। राजा ने सबकी नजरें बचाकर उसे उठा लिया, लेकिन राजा मे मंत्री की नज़र बड़ी तेज थी। उसने राजा को इत्र का बूँद उठाते देख लिया है। दूसरे दिन जब दरबार लगा, तो राजा एक मटका इत्र लेकर बैठ गया। मंत्री और सभी दरबारियों की नजरें राजा पर थी। वे सोच रहे थे कि आज राजा यह मटका लेकर क्यों बैठे है। थोड़ी देर बाद सभी दरबारी चर्चा मे व्यस्त हो गया जब राजा को लगा की उसे कोई नहीं देख रहा है, यों उसने इत्र से भरे मटके को इस तरह लुढ़का दिया , मानो वह अपने आप गिर गया हो। जब राजा को लगा की उसे नहीं देख रहा है , मानो वह अपने आप गिर गया हो।मटके को इस तरह लुढ़का दिया , मानो वह अपने आप गिर गया हो। मटके से इत्र बहने गला। तब राजा ने ऐसे मुद्रा बनाई , जैसे उसे इत्र के बह जाने की कोई परवाह न हो। इत्र लगातार बह रहा था, लेकिन राजा उसकी अनदेखी किए जा रहा था। मंत्री से यह देखा नहीं गया।वह बोला, " महाराज! गलती माफ हो, लेकिन आप यह ठीक नहीं कर रहे है। जब किसी इंसान के मन मे चोर होता है, तो वह ऐसा ही करता है। कल जब आपने जमीन पर गिरी हुई इत्र की बूँद उठा ली, तो आपको लगा की आपसे कोई गलती हुई है। आपने सोचा कि आप तो राजा है, आप ज़मीन पर गुरा इत्र क्यों उठाएगे। लेकिन वह कोई गलती नहीं थी। एक इंसान होने के नाते आपका वैसा करना स्वाभाविक था। लेकिन आपके भीतर राजा होने का जो घमंड है, उसके कारण आप बेचैन हो गए और कल की बात की भरपाई के लिए आज आप अकारण इत्र बर्बाद किए जा रहे है। सोचिए, आपका घमंड आपसे क्या करवा रहा है। "
इस कहानी से हमें ये सिख मिलती है कि आदमी को अपनी शक्ति या सत्ता का घमंड नहीं करना चाहिए। घमंड का शिकार व्यक्ति अपनी ही हानि करता है। ( पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद )
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izmir
ReplyDeleteizmit
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