। मानव नेत्र।
मानव नेत्र
मानव नेत्र प्रकृति कि एक मूल्यवान देन है, जो हमें इस संसार तथा हमारे चारो ओर के रंगों को देखने योग्य बनाती है। मानव नेत्र की सहायता से मनुष्य पास व दूर की वस्तुओ को आसानी से देख सकता है। यह एक प्रकाश संवेदी अंग है।
मानव नेत्र की संरचना ( Structure of Human Eye )
* दृढ़ पटल ( Sclerotic)
* रक्तक पटल ( Choroid )
* कॉर्निया ( Cornea)
* आइरिस ( Iris )
* पुतली ( pupil )
* नेत्र लेन्स ( Eye lens )
* पक्ष्माभी मांसपेशिया ( Ciliary muscles )
* रेटिना ( Retina )
* जलीय एवं काचाभ द्रव ( Aqueous and Vitereous)
* पीत बिन्दु ( Yellow spot )
* अन्ध बिन्दु ( Blind spot )
मानव नेत्र द्वारा प्रतिबिम्ब का बनना ( Formation of image by Human Eye )
किसी वस्तु से चलने वाली प्रकाश की किरणो सर्वप्रथम नेत्र के कार्निया पर आपतित होते है तथा अपवर्तित होकर क्रमशः जलीय द्रव नेत्र लेन्स तथा काचाभ द्रव मे से होती हुई रेटिना पर पहुँचती है जहाँ पर वस्तु का वास्तविक व उल्टा प्रतिबिम्ब बनता है। प्रतिबिम्ब के बनने का संदेश प्रकाश तांत्रिकाओं द्वारा मस्तिष्क मे पहुँचती है, जिससे मस्तिष्क अनुभव के आधार पर यह प्रतिबिम्ब सीधा दिखाई देता है।
नेत्र लेन्स कि फोकस दूरी (Focal length of Eye lens )
मानव नेत्र द्वारा अनन्त पर स्थित वस्तु को देखने के लिए नेत्र पर गिरने वाली समान्तर किरणें नेत्र लेन्स द्वारा रेटिना पर फोकस होती है तथा वस्तु का स्पष्ट प्रतिबिम्ब दिखाई देता है। मानव नेत्र लेन्स से रेटिना के मध्य की दूरी को नेत्र लेन्स की फोकस दूरी कहते है। नेत्र लेन्स की फोकस दूरी परिवर्तशील होते है।
मानव नेत्र की समंजन क्षमता ( Accommodation Power of Human Eye )
मासपेशियों द्वारा नेत्र लेन्स की फोकस दूरी को आवश्यकतानुसार परिवर्तित करने की क्षमता को नेत्र की समंजन क्षमता कहते है।
(a) : नेत्र का दूर बिन्दु ( Far Point of the Eye )
नेत्र से अधिकतम दूरी पर स्थित वह बिन्दु जिसे नेत्र बिना समंजन क्षमता को स्पष्ट देख सकता है दूरी बिन्दु कहलाता है। इस बिन्दु से नेत्र तक की दूरी स्पष्ट दृष्टि की अधिकतम दूरी कहलाता है स्वस्थ मनुष्य के लिए इसका मान अनन्त होता है।
(b) : नेत्र का निकट बिन्दु ( Near Point of the Eye)
वह निकटतम बिन्दु जिसे नेत्र अपनी अधिकतम समंजन क्षमता
लगाकर स्पष्ट देख सकता है नेत्र का निकट बिन्दु कहलाता है। नेत्र से इस बिन्दु की दूरी को स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी कहते है स्वस्थ नेत्र के लिए स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी 25 cm होता है। निकट बिन्दु के बीच की दूरी को दृष्टि विस्तार ( Range of vision )
दृष्टि दोष तथा उनका संशोधन (Defects of Vision and their Correction)
जब आँखो की समंजक क्षमता क्षीण हो जाती है, तब वस्तुए स्पष्ट नहीं दिखाई देती। इस स्थिति मे वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना के आगे या पीछे कही पर भी बन सकता है। इसी को दृष्टि दोष कहते है।
मानव नेत्र मे निम्नलिखित प्रकार के दृष्टि दोष होते है।
1 : निकट दृष्टि दोष ( Short Sightedness or Myopia)
निकट दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति को निकट की वस्तुए तो स्पष्ट दिखाई देता है परन्तु दूर की वस्तुए स्पष्ट दिखाई नहीं देता है। इस दोयुक्त नेत्र का दूर बिन्दु अनन्त पर न होकर पास आ जाता है अतः व्यक्ति दूर बिन्दु से अधिक दूरी पर स्थति वस्तुओ को स्पष्ट नहीं देख पता।
निकट दृष्टि दोष के कारण ( Causes of Myopia )
निकट दृष्टि दोष से होने वाले निन्म दो कारण होते है।
(१) : नेत्र लेन्स की वक्रता का बढ़ जाना, जिससे उनकी फोकस दूरी कम को जाती है।
(२) : नेत्र लेन्स के गोलक का व्यास बढ़ जाना ।
इस दोष के कारण अनन्त पर स्थित वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर फोकस न होकर रेटिना के सामने कुछ पहले फोकस हो जाता है। इस कारण अनन्त पर स्थित वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देते।
निवारण ( Rectification )
निकट दृष्टि को दूर करने के लिए उचित फोकस दूरी वाली अवतल लेन्स के चश्मे का प्रयोग किया जाता है।
2 : दूर दृष्टि दोष ( Long Sightedness or Hypermetropia)
दूर दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति को दूर की वस्तुए तो स्पष्ट दिखाई देती है परन्तु निकट की वस्तुए स्पष्ट दिखाई नहीं देती है। इस दोषयुक्त नेत्र का निकट बिन्दु 25 cm से अधिक दूर हो जाता है। अतः व्यक्ति को 25 cm तथा उससे निकट स्थित वस्तुए स्पष्ट दिखाई नहीं देती है।
दूर दृष्टि दोष के कारण ( Causes of Hypermetropia)
दूर दृष्टि दोष होने के निम्न दो कारण है।
(१) : नेत्र लेन्स की वक्रता का कम हो जाना, जिससे उसकी फोकस दूरी बढ़ जाती है।
(२) : नेत्र की मांसपेशियों के क्षीण हो जाने से नेत्र गोलक के व्यास का काम हो जाना।
इस दोष के कारण निकट स्थित वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर फोकस ना होकर रेटिना के पीछे फोकस हो जाता है, जिस कारण वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती है।
निवरण ( Rectification )
दूर दृष्टि दोष को दूर करने के लिए उचित फोकस दूरी वाले उत्तल लेन्स के चश्मे का प्रयोग किया जाता है।
2 Comments
इस ब्लॉग को पढ़ने के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteकैसी लगी यह टॉपिक दोस्तों
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