(Position, Shape, Size And Weight of Heart)
हृदय वक्षगुहा में फेफड़ों के बीच में स्थित होता है। इसका अधिकांश
भाग वक्ष के बाए ओर तथा थोड़ा- सा भाग स्थित के दाए ओर होता है। साधारण तथा इसका आकार व्यक्ति की बंद मुट्ठी के समान होता है। एक सामान्य व्यक्ति का हृदय लगभर (12-13 सेमी) लंबा तथा अग्र सिरे पर लगभग (9 सेमी) चौड़ा और (6 सेमी) मोटा होता है। इसका भार लगभग (300 ग्राम) होता है।
2: हृदय का बाहन संरचना (External Structure Of )
मानव हृदय गुलाबी रंग का स्पंदनशील, शंकवाकार, खोखला,
मासल होता है। मनुष्य का हृदय एक दोहरा झिल्ली, हृदयावरणी
थैली (Pericardial Sac) या हृदयावरण (Pericardium)
से घिरा रहता है। यह आवरप्प तीन स्तरों का बना होता है जो
निम्न है
(१) तन्तुकीय हृदयावरण (Fibrous Pericardium)- यह दृढ
तंतुकीय संयोजी ऊतक का बना होता है, जो हृदय को ज्यादा
फैलने से रोकता है।
(२) सिरमी हृदयावरण (Serous Pericardium)- यह
आंतरिक स्तर है, जो हृदय से चिपका रहता है। यह चिपटी व
शिल्की एपिथीलियम की कोशिकाओं की बनी इकहरी परत है।
(३)पैरीकार्डियल गुहा (Pericardial Cavity) = बसिरमी हृदयावरण का वह भाग, जो तन्तुकीय हृदयावरण (Perietal
Pericardium) तथा वह भाग है जो हृदय की सतह पर फैलता है, आन्तरागीय हृदयोंवरण (Visceral Pericardium) कहलाता है। इन दोनों के मध्य की गुहा कहलाती है।
3: हृदय की आन्तरिक संरचना (Internal Structure Of Heart)
हृदय की आन्तरिक संरचना विभिन्न प्रकार है
(१)अलिन्द एवं निलय (Auricle And Ventricle) मानव
हृदय में चार पूर्ण वेश्म दो अलिन्द अन्तर- अलिन्दीय पट्ट (Interatrial Septum) द्वारा पृथक रहते है, जबकि निलयो की दीवार में ओटी रहती है तथा आन्तर- निलयी कपाटो (Interventricular Septum) द्वारा पृथक होते है।
(२) फोसा औवेलिस ( Fossa Ovalis)= अन्तरा-अलिन्दीय
पट्ट के पस्च भाग पर दाहिनी तरफ एक छोटा सा अण्डाकार गड्ढ़ा
होता है, जो फ़ोसा औवेलिस कहलाता है।
(३) महाशीर (Vena Cava ) दाहिनेे अलिन्द मे दो मोटी
महाशिराए अलग - अलग छिद्रों द्वारा खुलती है, इन्हे अग्र महाशीरा
(Inferior Vena Cava) तथा पश्च महाशिरा (Superior Vena Cava) कहते है।
(४) ट्रेबिकुली कार्नी (Trabeculae Carneae)= बाए
अलिन्द में फेफड़ों से शुद्ध रुधिर लाने वाली फुफ्फुसीय शिराएं
(Pulmonary Veins) आकार खुलती है। गुहाओ की ओर निल्यो की दीवार सपाट न होकर छोटे - छोटे अनियमित भंजो के
रूप में उभरी होती है ये भंज ट्रेबिकुली कर्नी कहलाते है।
(५) स्पन्दन केन्द्र (Pacemaker)
(६) पल्मोनरी तथा कैरोटिको-सिस्टैमिक चाप (Pulmonary
and Carotica Systemic Arch)
(७) त्रिवलन तथा द्विवलन कपाट ( Tricuspid and Bicuspid Value)
6 Comments
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ReplyDelete💐🌹🌹💐
ReplyDeleteHiiivgh
ReplyDeleteI like your topic
ReplyDeleteNice
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